

बाल उड़ान के माध्यम से हम अपने पूर्वजो,क्रांतिकारियों,वैज्ञानिकों,बुद्धिजीवियों और अनेक सहासी लोगों की जीवनी उनके कार्य और राष्ट्र के लिए उपलब्धियों को अर्जित करने के बारे में जानेगें|
हम अपनी पत्रिका "बाल उड़ान" के माध्यम से हर धर्म को एक सूत्र में देखना चाहते है क्योंकि आज का हर एक बालक/बालिका को इस का ज्ञान देना कि उन्नति एक जुट हो कर कुशल कार्य करने से है न की स्वयं को दूसरो से अलग करके जिस दिन हम अनेकता में एकता का सही अर्थ समझ जायेंगे शायद उस दिन ही भारत विश्व की नंबर एक शक्ति बन जायगा , जो कि बाहरी ताकत हमको बॉटने में लगी रहती है इसी उद्देश्य से कि कहीं भारत उन पर हावी न हो जाए | अंग्रेज़ों ने भी हमेशा ही "बाटों और राज्य करो" के आधार पर भारत और दुसरे उपरान्तो पर राज्य किया |
यह बाल अवस्था एक अंकुर के समान है जैसी इसकी परवरिश की जाए वैसे ही फल की इच्छा हम सबको रखनी चाहिए और जब हम फल की इच्छा अपनी करनी के अनुसार तय कर सकते है तो हम क्यों न अपने बच्चों के लिए एक सार्थक कदम आगे बढ़ाएं क्योंकि एक घर से एक भी बच्चा ज्ञान का दीपक जलाता है तो वो अपने परिवार का मार्ग दर्शक बन जाता है और हर परिवार को ऐसे ही एक दीपक मिल जाए तो यह देश उज्ज्वलित हो उठे |
आप सब अभिभावकों से अनुरोध है कि बाल अवस्था ही में ही बच्चो को उड़ना सिखायें एक राह बनायें उनमें एक उमंग को जन्म दें उनकी पसंद को समझें अच्छे बुरे का ज्ञान दें और बाल उड़ान का अर्थ सार्थक बनाएं | उनको कोई भेद भाव का ज्ञान नहीं अपितु सब के साथ चल कर आगे बढ़ने की सीख दें |
बाल अवस्था तो पानी के आकार की तरह है जिसका कोई आकार ही नहीं और हम जैसे चाहें उसको कोई भी आकार दे दें, उनको ज्ञान के प्रकाश की रौशनी से उज्ज्वलित करें राष्ट्र प्रेम उनके अंदर जगाएं,रीत और सांस्कृतिक का ताल मेल बैठाएं, हर धर्म का ज्ञान दें क्योंकि सब धर्म यही कहते हैं की मानव प्रेम सबसे बड़ा प्रेम हैं माता-पिता की भक्ति सबसे बड़ी भक्ति हैं जो अम्बर के पर बैठा है वही सब का ईश्वर है, और साथ में इसकी भी सीख दें कि जो हमारी प्रकर्ति में है उसकी सुंदरता को बनाये रखे उसको किसी भी तरह का नुक्सान न पहुचाएं और हम सब ख़ुद इस बात के गवाह बन जायें कि हमने जो अपनी संतान को सीख दी उससे हमारा देश कितना सुन्दर दिखाई देता है, तो हम सब को मिलकर यह प्रण करना है बाल अवस्था से ही सुधार करना है |
